सच हम कितना भी पा लें पर यदि संतोष न पाया तो सब बेकार है.मन सदा ही उदासीन एवं बेचैन रहता है.अतः हम जो भी उन्नति / तरक्की या कुछ भी सुख पाएं उसकी खुशी मानें पूरी संतुष्टि के साथ.
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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